Poem

जय हिन्द जय भारत
हमनें रात वो अमर पाई हैं
आज़ादी की कीमत पाई हैं
हुए अंग्रेजों से आज़ाद पर
द्वंद्व अनेक मन में पाई हैं
बलिदानों की गीत गायी हैं
भगत ,सुभाष ,शिवाजी खोये हैं
मरके बी अमर हो गए
इस मिटी ने वो बीर पाई हैं
आज़ाद हुए बस सत्ता से
मानसिक आज़ादी की बारी हैं
छोड़ दे भाई अब जातपात
हमनें हिन्दुस्तान की ऋण पाया हैं
देश के लिए जीना मरना
मंत्र महान पाया हैं
करदो विवेकानन्द की बाणी पूरी
विरासत में हमनें देशभक्ति पाई हैं
जियेंगे देश के लिए
मरना भी इसी भारत के लिए
ले संकल्प राष्ट्र निर्माण का
चलो फिर से आज़ादी का संघर्ष आया हैं
चलो फिर से आज़ादी का संघर्ष आया हैं ।
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1 thought on “जय हिन्द जय भारत”
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Wow